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ज़िन्दगी में जो मुस्कुराएगा / ईश्वरदत्त अंजुम

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ज़िन्दगी में जो मुस्कुराएगा
वो ज़माने को रास आयेगा

सख़्त दुश्वारियों के आलम में
अज़में-पुख्ता ही काम आयेगा

ख़ार ज़ारों पे चल पड़ा जो भी
ज़िन्दगी में बहार लायेगा

वक़्त की क़द्र तुम पे लाज़िम है
वक़्त वरना तुम्हें रुलायेगा

अज़्म-ए-रासिख ही देखना इक दिन
आँधियों में दिया जलायेगा

वक़्त के साथ जो चला 'अंजुम'
वो ज़माने को जीत पायेगा।