ज़िन्दगी में प्यार का वादा निभाया ही कहाँ है / महावीर शर्मा
ज़िन्दगी में प्यार का वादा निभाया ही कहाँ है
नाम लेकर प्यार से मुझ को बुलाया ही कहाँ है ?
टूट कर मेरा बिखरना, दर्द की हद से गुज़रना
दिल के आईने में ये मंज़र दिखाया ही कहाँ है ?
शीशा-ए-दिल तोड़ना है तेरे संगे-आस्ताँ पर
तेरे दामन पे लहू दिल का गिराया ही कहाँ है ?
ख़त लिखे थे ख़ून से जो आँसुओं से मिट गये अब
जो लिखा दिल के सफ़े पर, वो मिटाया ही कहाँ है ?
जो बनाई है तेरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत
पर अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है ?
देखता है वो मुझे, पर दुश्मनों की ही नज़र से
दुश्मनी में भी मगर दिल से भुलाया ही कहाँ है ?
ग़ैर की बाहें गले में, उफ़ न थी मेरी ज़ुबाँ पर
संग दिल तूने अभी तो आज़माया ही कहाँ है ?
जाम टूटेंगे अभी तो, सर कटेंगे सैंकड़ों ही
उसके चेहरे से अभी पर्दा हटाया ही कहाँ है ?
उन के आने की ख़ुशी में दिल की धड़कन थम न जाये
रुक ज़रा, उनका अभी पैग़ाम आया ही कहाँ है ?