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ज़िन्दगी है सुहानी तभी / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

ज़िन्दगी है सुहानी तभी।
संग में हो जवानी तभी।।

कामनी कामना कर रही।
आ गई रातरानी तभी।।

छटपटाती रही ख्वाब में।
छा गई ये कहानी तभी।।

आ गई है मिलन की घड़ी।
नाज नखरे रवानी तभी।।

हुस्न भी खार खाने लगी।
इश्क़ की बात जानी तभी।।