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ज़ेह्न-ओ-दिल पर हैरानी का पहरा है / अमित शर्मा 'मीत'
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ज़ेह्न-ओ-दिल पर हैरानी का पहरा है
और इन आँखों पर पानी का पहरा है
एक तुम्हारे जाने से इस घर में अब
अंधेरे औ' वीरानी का पहरा है
ध्यान लगाकर सोच नहीं पाता तुमको
ध्यान पर मेरे बे-ध्यानी का पहरा है
भीड़ में भी गुमसुम रखती है तन्हाई
मुझ पर इसकी मनमानी का पहरा है
जिस दरिया में मल्लाहों के साथ थे हम
उस दरिया पर तुग़्यानी का पहरा है
खुल जाती है इनकी रंगत सब पर ही
सब फूलों पर उर्यानी का पहरा है
इन साँसों में जबसे शामिल है वह मीत
इन साँसों पर आसानी का पहरा है