भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़ोफ आता है दिल को थाम तो लो / इंशा अल्लाह खां
Kavita Kosh से
ज़ो’फ आता है दिल को थाम तो लो
बोलियो मत मगर सलाम तो लो
कौन कहता है बोलो, मत बोलो
हाथ से मेरे एक जाम तो लो
इन्हीं बातों पे लौटता हूँ मैं
गाली फिर दे के मेरा नाम तो लो
इक निगाह पर बिके हैं इंशा आज
मुफ़्त में मोल एक गुलाम तो लो