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जाँ बदन से जुदा है रहने दे / अनिरुद्ध सिन्हा
Kavita Kosh से
जाँ बदन से जुदा है रहने दे
ये जो मुझसे ख़फ़ा है रहने दे
रोज़दर रोज़ हादिसा है यहाँ
अब वहाँ क्या हुआ है रहने दे
छोड़ो अब हुस्नइश्क़ की बातें
ये फ़साना सुना है रहने दे
अपनी सूरत से मत डराओ मुझे
सामने आइना है रहने दे
छेड़खानी न कर वफ़ाओं से
वो अगर बेवफ़ा है रहने दे