Last modified on 13 मार्च 2018, at 22:55

जाँ बदन से जुदा है रहने दे / अनिरुद्ध सिन्हा

जाँ बदन से जुदा है रहने दे
ये जो मुझसे ख़फ़ा है रहने दे

रोज़दर रोज़ हादिसा है यहाँ
अब वहाँ क्या हुआ है रहने दे

छोड़ो अब हुस्नइश्क़ की बातें
ये फ़साना सुना है रहने दे

अपनी सूरत से मत डराओ मुझे
सामने आइना है रहने दे

छेड़खानी न कर वफ़ाओं से
वो अगर बेवफ़ा है रहने दे