रात भर शमा से गुल हटाए रखिए
वहमे-सुबह का ख़याल बनाए रखिए
जाँ सुलगती है लफ़्ज़ों की कामयाबी पर
लफ्ज़ हवाओं की तरह बहाए रखिए
ख़ुदकुशी से पहले आग बार-बार परखिए
हर धुएँ का सैलाब आग नहीं, वहम भगाए रखिए
यार, पैसे ना उड़ा इन फ़िज़ूल साँसों पर
वात महंगे हुए, आह भी थामे रखिए