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जाओ-जाओ साथी जाओ / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
जाओ-जाओ साथी जाओ हमने दामन छोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।
रिश्ते तब तक ही रिश्ते हैं
जब तक उनमें रहे सहजता।
ऐसे रिश्तों का क्या मतलब
जिनको मन ही नहीं समझता।
जिसको तुमने असहज माना वह रिश्ता ही तोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।
आधे मन से नहीं कभी भी
कोई काम किया जाता है।
जिसके लिये जीता जाता है
पूरी तरह ज़िया जाता है।
पूरी तरह जियो रिश्तों को इसीलिए यह मोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।
जब तक दिल को दिल से जोड़ें
तब तक रिश्ते सुख देते हैं।
मगर तोड़ने लगते दिल को
तब ये कितना दुख देते हैं।
हमने रिश्तों का कच्चा घट स्वयं पकाया फोड़ दिया।
लाख हमारा दिल टूटा हो मगर तुम्हारा जोड़ दिया।