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जागते मेरे नयन अब / प्रेमलता त्रिपाठी
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याद में तेरी सजन अब ।
जागते मेरे नयन अब ।
तुम न आये मीत मोहन
श्याम प्यारे आ सघन अब ।
तुम धरा का मान रखना,
मेट दो उर की अगन अब ।
बूँद की सरगम सुहाती,
कर सुखद बरखा मगन अब ।
माधुरी यह तान लगती,
झूमते तरु-पात तन अब ।
प्रेम मधुबन जी उठेगा,
गीत सावन गा शगुन अब ।