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जागरण की ताकत / नंदेश निर्मल
Kavita Kosh से
चलो आज हम सब मिल सीखें
एक-एक कर दो बनता है
दो की ताकत एका हो जब
तब विहान का रथ सजता है।
ज गो उठो बढ़ कर तो देखो
ना-नुककर की बात नहीं अब
नि र्णय लो तुम चल पड़ने का
मौ का पलट कहाँ आता है।
जिनकी कुन्दन पड़ी प्रज्ञा है
अ रुणोदय की श्रुति समझाओ
हर लालन को मार्ग दिखाओ
तप का फल सुंदर मिलता है।
एक नहीं सौ गीत मिलें जब
दिशा-दिशा गुज्जित होती है
और एक आकार खड़ा कर
जीवन को सफल बनाता है
योग्य वही संतान कहाते
जो शिक्षित अनुशासित होते
वही देश का सफल नागरिक
जो जन-गण-मन को गाता है।