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जागरण / गोरख पाण्डेय
Kavita Kosh से
बीतऽता अन्हरिया के जमनवा हो संघतिया
सबके जगा द
गंउवा जगा द आ सहरवा जगा द
छतिया में भरल अंगरवा जगा द
जइसे जरे पाप के खनवा हो संघतिया
सबके जगा द
तनवा जगा द आपन मनवा जगा द
अपने जंगरवा के धनवा जगा द
ठग देखि माँगे जगरनवा हो संघतिया
सबके जगा द
नेहिया के बन्हल परनवा जगा द
अँसुआ में डूबल सपनवा जगा द
मुकुती के मिल बा बयनवा हो संघतिया
सबके जगा द
हथवा जगा द हथियरवा जगा द
करम जगा द आ बिचरवा जगा द
रोसनी से रचऽ नया जहनवा हो संघतिया
सबके जगा द
बीतऽता अन्हरिया के जमनवा हो संघतिया
सबके जगा द