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जागिए गोपाल लाल, आनँद-निधि नंद-बाल / सूरदास

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राग ललित


जागिए गोपाल लाल, आनँद-निधि नंद-बाल,जसुमति कहै बार-बार, भोर भयौ प्यारे ।
नैन कमल-दल बिसाल, प्रीति-बापिका-मराल,मदन ललित बदन उपर कोटि वारि डारे ॥
उगत अरुन बिगत सर्बरी, ससांक किरन-हीन,दीपक सु मलीन, छीन-दुति समूह तारे ।
मनौ ज्ञान घन प्रकास, बीते सब भव-बिलास, आस-त्रास-तिमिर तोष-तरनि-तेज जारे ॥
बोलत खग-निकर मुखर, मधुर होइ प्रतीति सुनौ,परम प्रान-जीवन-धन मेरे तुम बारे ।
मनौ बेद बंदीजन सूत-बृंद मागध-गन,बिरद बदत जै जै जै जैति कैटभारे ॥
बिकसत कमलावती, चले प्रपुंज-चंचरीक, गुंजत कल कोमल धुनि त्यागि कंज न्यारे ।
मानौ बैराग पाइ, सकल सोक-गृह बिहाइ,प्रेम-मत्त फिरत भृत्य, गुनत गुन तिहारे ॥
सुनत बचन प्रिय रसाल, जागे अतिसय दयाल ,भागे जंजाल-जाल, दुख-कदंब टारे ।
त्यागे-भ्रम-फंद-द्वंद्व निरखि कै मुखारबिंद,सूरदास अति अनंद, मेटे मद भारे ॥


भावार्थ :-- श्रीयशोदा जी बार-बार कहती हैं--`गोपाललाल, जागो! आनन्द निधि प्यारे नन्दनन्दन! सबेरा हो गया । तुम्हारे नेत्र कमल-दल समान विशाल हैं, प्रेमरूपी काचली के ये हंस हैं, तुम्हारे सुन्दर मुख पर तो करोड़ों कामदेव न्यौछावर कर दिये । देखो, अरुणौदय हो रहा है, रात्रि बीत गयी, चन्द्रमा की किरणें क्षीण हो गयीं, दीपक अत्यन्त तेजहीन हो गये, सभी तारों का तेज घट गया; मानो ज्ञान का दृढ़ प्रकाश होने से संसार के सब भोग-विलास छूट गये, आशा और भयरूपी अन्धकार संतोषरूपी सूर्य की किरणों ने भस्म कर दिया हो । पक्षियों का समूह खुलकर मधुर स्वर में बोल रहा है, इसे विश्वास करके सुनो । मेरे लाल! तुम तो मेरे परम प्राण और जीवनधन हो । (देखो पक्षियों का स्वर ऐसा लगता है) मानो बन्दीजन वेद-पाठ करते हों, सूतवृन्द और मागधों का समूह, हे कैटभारि ! तुम्हारा सुयश गान करता है और बार-बार जय-जयकार कर रहा है । कमलों का समूह खिलने लगा है, भ्रमरों का झुंड सुन्दर कोमल स्वर से गुंजार करता कमलों को छोड़कर अलग चल पड़ा है । मानो वैराग्य पाकर समस्त शोक और घर को छोड़कर तुम्हारे सेवक तुम्हारा गुणगान करते प्रेममत्त घूम रहे हौं ।' (माता के) प्यारे रसमय वचन सुनकर अत्यन्त दयालु प्रभु जग गये । ( उनके नेत्र खोलते ही जगत के) सब जंजालों का फंदा दूर हो गया दुःखों का समूह नष्ट हो गया । सूरदास ने उनके मुखारविन्दका दर्शन करके अज्ञान के सब फंदे, सब द्वन्द्व त्याग दिये । अब मेरा भारी मद (अहंकार) प्रभु ने मिटा दिया, मुझे अत्यन्त आनन्द हो रहा है ।