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जाग रहे तुम कौन सदा मम निभृत हृदय में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग कल्याण-ताल त्रिताल)
जाग रहे तुम कौन सदा मम निभृत हृदय में हे प्यारे।
कौन अधीर विरह-व्याकुल प्राणोंसे टेर रहे प्यारे॥
विविध कार्य, नाना साजोंमें, फँसा जगत में हूँ प्यारे।
इसमें, मेरा संग चाहते, हो तुम कौन कहो प्यारे॥