भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाड़ा आया / प्रियंका गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाड़ा आया, जाड़ा आया
आते उसने हुकुम चलाया
मफ़लर, स्वेटर, कोट निकालो
साथ रजा‌ई शाल भी ला‌ओ

जाड़ा आया, जाड़ा आया
मूँगफली का मौसम लाया
कुल्फ़ी-आ‌इस्क्रीम ग‌ए सब
न‌ए-न‌ए पकवान हु‌ए अब

जाड़ा आया, जाड़ा आया
घर में न‌ई व्यवस्था लाया
दादा बैठे ओढ़ रजा‌ई
बबलू बैठा ओढ़ दुला‌ई

जाड़ा आया, जाड़ा आया
मम्मी बोली ऊधम लाया
पापा कहते यह लो भा‌ई
अब तो रोज बदलनी टा‌ई

-0-