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जाड़े की विदाई का गीत / सूर्यकुमार पांडेय

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चलते-चलते जाड़ा बोला--
मैं जाता हूँ, बच्चो, टा-टा!

सुबह शाम तुम मेरे डर से,
नहीं निकल पाते थे घर से।
तनिक न डरना,
जी भर करना,
सैर-सपाटा।
मैं जाता हूँ, बच्चो, टा-टा!

पापा सदा टोक देते थे,
भैया तुम्हें रोक देते थे।
गये कहीं जब,
मम्मी ने तब,
तुमको डाँटा।
मैं जाता हूँ, बच्चो, टा-टा!

अगले साल लौट जाऊँगा,
स्वेटर-कोट साथ लाऊँगा।
जी भर दूँगा, फिर कर दूँगा,
पूरा घाटा।
मैं जाता हूँ, बच्चो, टा-टा!