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जाड़े की हवा / हरीश निगम

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ठंडी-ठंडी चली हवा
लगे बर्फ़ की डली हवा ।

चुभती है तीरों जैसी,
कल की वो मखमली हवा ।

बाहर मत आना भइया,
लिए खड़ी 'दो-नली' हवा ।

दादी कहती मफ़लर लो,
चलती है मुँहजली हवा ।

स्वेटर, कम्बल, कोट मिले,
नहीं किसी से टली हवा ।

गर्मी में सबको भाई,
अब गर्मी में खली हवा ।