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जाणकारी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
ऐ आंगळियां जाणै
कुण-सा तार कित्ता कम्यां पछै
सावल बाजै डील-सितार
आं हाथां नै ठा है
कठै कांई कित्तो गोळ-गोळ है
डील-बिरछ
ऐ सांसां जाणै
ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठण्ड में
कठै लाधै निवास
औ जी जाणै
मन री अंधारी अमूजती घाटी में
थारी ओळूं रो दीवो
नित करै उजास !