भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाणकारी / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐ आंगळियां जाणै
कुण-सा तार कित्ता कम्यां पछै
सावल बाजै डील-सितार

आं हाथां नै ठा है
कठै कांई कित्तो गोळ-गोळ है
डील-बिरछ

ऐ सांसां जाणै
ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठण्ड में
कठै लाधै निवास

औ जी जाणै
मन री अंधारी अमूजती घाटी में
थारी ओळूं रो दीवो
नित करै उजास !