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जाणा पडै रांझे, तू मतना लडै़ रांझे / राजेश दलाल

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जाणा पडै रांझे, तू मतना लडै़ रांझे
प्यार नै जगांह कडै रांझे प्रेमियां तै देश चिडैं रांझे
पत्थर दिल ये समझै कोण म्हारी प्रेम कहाणी नै
कीमत प्यार की, मोहलत यार की, अडै़ बस राजा-राणी नै
 
धुर-दिन तै तू जाणै रांझे हीर की तासीर
घायल सै हिरणी नां मार तीर दे-दे धीर
प्रेम डोर तगड़ी कर दे दुख-सुख का साझा सीर
दगाबाज खुद घर का भी देज्या रांझे दुख आखिर
पटमल, चाचा, मूछ पैना माचा
रिश्ते धर दिये धार पै हो मनै प्रेम पुगाणी नै
 
हम बीरां की जात हो रांझे प्यार पै कुर्बान
देखै तै दखादूं ले लीले-काळे निशान
हथेळी पै ज्यान धरकै पास हो यू इम्तिहान
सजा मौत मेरे जिसी नै देखै सब त्योर-ताण
लाण्डे-बूचे सारे, हथियार पिना रे
मैं चकमा देकै आई देख तू जोखम ठाणी नै
 
प्यार ही खुदा है खिणदूं, लिखावट भी कर जाणू
वफा के सितारे-बिन्दी, सजावट भी कर जाणू
ताजा राखूं प्यार नै मैं, तरावट भी कर जाणूं
पटमल की पटडी पाडू, रूकावट भी कर जाणूं
मैं ढूंढती मौका, सै हौंसला चोखा,
तोडै कै नै चट्टान सींच ल्यूं मीठे पाणी नै
 
बेगां-बादशाह ना इक्का म्हारै तुरफ चाल का
फटका बणा ल्यां फिर भी शिकारी के जाल का
भाजगी लफंगी कहै गे जमाना बद ख्याल का
प्यार के फरिश्ते देगें जबाब इस बबाल का
उड़ै जुडैग़ी पंचायत, रे लियो मेरी हिमात
राजेश डोब्या उल्लू-अदालत छोरी खाणी नै