भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जाति गिरोह में तब्दील हुआ हिंदी साहित्य / पंकज चौधरी
Kavita Kosh से
ब्राह्मण ब्राह्मण का कुरिया रहा है
तो भूमिहार भूमिहार का
राजपूत राजपूत का कुरिया रहा है
तो कायस्थ कायस्थ का
चमार चमार का कुरिया रहा है
तो वाल्मीकि वाल्मीकि का
खटिक खटिक का कुरिया रहा है
तो मीणा मीणा का
लेकिन शेष जातियां
अपनी-अपनी कुरियाने में उरिया रही हैं!