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जाते-जाते भी / केदारनाथ अग्रवाल
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जाते-जाते भी
जीने का
अंत न होगा
बना रहेगा
मेरा जीना
जीवन से जीवंत
प्रतिभा का
पौरुष का पुंज
काव्य-कला का
कूजित कुंज
रचनाकाल: ०१-०३-१९९१