Last modified on 11 दिसम्बर 2022, at 20:23

जाते समय / अमरजीत कौंके

जाते समय
खाली नहीं छोड़ कर जाऊंगा
कमरे को मैं

एक दीवार पर छोड़ जाऊंगा
मुस्कराते बच्चे का पोस्टर
एक दीवार पर चिपकाई
ओशो की तस्वीर
और दीवारों पर जगह-जगह लिखीं
अपनी कविताओं की
उदास पंक्तियाँ

कमरे को
बिलकुल खाली नहीं छोड़ कर जाऊंगा मैं
कुछ न छोड़ कर भी
छोड़ जाऊंगा बहुत कुछ
जो मेरे बाद रहेगा इस कमरे में

मेरे बाद नया आएगा
इस कमरे में जो
नहीं मालूम कैसा होगा वो
हो सकता है
फाड़ कर फेंक दे
वह ओशो की तस्वीर
लेकिन कभी नहीं उतार पाएगा वह
मुस्कराते बच्चे का पोस्टर

मेरी कविताओं की पंक्तियों में
शायद वह मुझे पढ़ने की कोशिश करे
या यह भी हो सकता है
कि वह मालिक को
दुबारा सफेदी करवा देने के लिए कहे
सब कुछ मिटा देने के लिए कहे।