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जाते हुए न जाने क्यों ये काम कर गया / रंजना वर्मा
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जाते हुए न जाने क्यों ये काम कर गया
आंखों में अश्क़ दिल मे मेरे दर्द भर गया
तारीफ़ करूँ जुल्म की या खैर शब कहूँ
उसके मिले बगैर भी जीवन गुज़र गया
हिम्मत दिखा रहा था बहुत जो जहान को
झटका दिया जो वक्त ने किस तरह डर गया
सदमा बड़ा गहरा था हुआ दिल धुँआ धुँआ
अच्छा हुआ जो आँख मेरी नम वो कर गया
छूटा था साथ या कि कोई हादसा हुआ
तूफान कोई रेत का उमड़ा ठहर गया
अब ऐसे सितमगर की भला बात क्या करूँ
वादा किया जो रात सुबह को मुकर गया
पहलू से दिल निकाल के नजराना कर दिया
समझा जिसे अपना वही कर बेक़दर गया