Last modified on 21 जनवरी 2015, at 14:23

जादा-ए-रह को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआ / ग़ालिब

जादा-ए-रह को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआ
चर्ख़ वा करता है माह-ए-नौ से आग़ोश-ए-विदा