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जादूगर / सुनील श्रीवास्तव
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जादूगर जादू दिखा रहा था
रूमाल को तोता
तोते को खरगोश बना रहा था
लोग ताली बजा रहे थे
लोग पैसे लुटा रहे थे
तभी एक आदमी
चढ़ आया मंच पर
मारा तमाचा जादूगर को खींचकर
बोला —
साले, बेवकूफ बनाते हो !
हाथ की सफ़ाई दिखा
जनता को फुसलाते हो !
मेहनत मजूरी का पैसा
ठगकर ले जाते हो !
जाओ, भागो,
यहाँ से जाओ
सही जगह पसीना बहाओ
पहले उपजाओ, फिर खाओ
कथा सुनने वालो,
अब तुम बताओ
अनुमान लगाओ
आख़िर क्या हुआ होगा
क्या रोनी सूरत बना
जादूगर चल दिया होगा
या माँग ली होगी माफ़ी
खाई होगी कसम
फिर न किसी को ठगने की
नहीं, साहब, नहीं
ऐसा कुछ ना हुआ
आख़िर जादूगर ने फिर
एक जादू किया
उसने ग़ायब कर दिया आदमी को
वह आदमी अभी तक लापता है
और कारोबार जारी है
जादूगर का ।