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जादू सो कर गई हेरन में / ईसुरी
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
जादू सो कर गई हेरन में
दुरवारी दृग की फेरन मैं।
जों मरतेज, तेज चितवन कौ,
सो नइँयाँ समसेरन में।
उड़त फिरत जैसें मन पंछी
गिरत बाज के घेरन में।
जब कब मिलत गैल खोरन में,
तिरछी नजर तरेरन में।
कहत ईसुरी सुन लो प्यारी,
तनक सेन की टेरन मैं।