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जानकी अहींक अवतार सँ / किसलय कृष्ण

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शक्तिपुंज जगत भरि छिटकल,
जतय ह' र केर फार सँ...
पुण्यभूमि बनल अछि मिथिला,
जानकी अहींक अवतार सँ...

मुदित पुनौरा आओर जनकपुर,
जनक-सुनयना मन आनन्दित...
मृदंगक थाप संग बाजल पिपही,
मैथिल जन गण मन स्पन्दित...
सोहर बनि कलकल नाद भेलइ,
कमला आ दूधमती केर धार सँ...
पुण्यभूमि बनल अछि मिथिला,
जानकी अहींक अवतार सँ...

शिवक धनुष धए वाम हाथ मे,
दहिनासँ निपलहुँ ओसरा-आङन...
महलक लोक सभ अचरज मे,
छल बिहुँसैत विदेहक मन प्रांगण।
फूल तोड़ि फूलहर सँ अनलहुँ,
देलहुँ अरिपन सिनूर-पिठार सँ...
पुण्यभूमि बनल अछि मिथिला,
जानकी अहींक अवतार सँ...

अहाँ अबियौ नैहर एक बेर फेर,
मिथिला आइ खण्ड पखण्ड छै...
छै सुन्न चौक देखि समय बौक,
उठल विर्रो आइ तेहेन प्रचण्ड छै...
ई दहोबहो नोर देखू बहि रहल,
युग केर जर्जर भेल चार सँ...

शक्तिपुंज जगत भरि छिटकल,
जतय ह' र केर फार सँ...
पुण्यभूमि बनल अछि मिथिला,
जानकी अहींक अवतार सँ...