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जानता है नत्थू काका / ओम पुरोहित ‘कागद’

भेड़ की खाल से
बहुत मारके का
बनता है चंग
जानता है नत्थू काका

पर ऐसे में
बजेगा भी कैसे
जब गुवाड़ में
मरी पड़ी हों
रेवड़ की सारी की सारी भेड़ें

चूल्हे में महीने भर से
नही जला हो बास्ती
और
घर में मौत तानती हो फाका ।