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जानती थी / प्रतिभा कटियार

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जानती थी
क्या होती है प्रतीक्षा,

कैसा होता है दुःख
अवसाद, अँधेरा,
किस क़दर
मूक कर जाता है
किसी उम्मीद का टूटना,
फिर भी
मैंने चुना प्रेम !