जाना ही है तो अपनी तस्वीर दिये जाओ / रंजना वर्मा
जाना ही है तो अपनी तस्वीर लिये जाओ।
जिसने थे दिल बाँधे वह जंजीर लिये जाओ॥
जब हम मिले मिटी तनहाई
सूने स्वप्न हुए सिंदूरी,
अनजाने ही जाने कैसे
मिटी धरा अंबर की दूरी।
प्रतिपल राह तके रांझे की हीर लिये जाओ।
जाना ही है तो अपनी तस्वीर लिये जाओ॥
कुहू कुहू कोकिल की तानें
और पपीहे की वह पी पी,
भौंरों की गुनगुन कलियों पर
तितली के पंखों की सीपी।
जाते हो तो यह सतरंगी चीर लिये जाओ।
जाना ही है तो अपनी तस्वीर लिए जाओ॥
परिचय के पल सीधे-साधे
कितनी बातें कितने वादे,
भूल गये तुम तो जाते ही
सारी कसमें और इरादे।
रही सदा मुझसे रूठी तकदीर लिये जाओ।
जाना ही है तो अपनी तस्वीर लिये जाओ॥
साँसों के सोपान चढ़ा जो
धड़कन से नित लिपटा रोया,
नयन नीर वह गंगाजल था
जिसने था मन का मल धोया।
प्रतिपल तड़पाती मन को वह पीर लिये जाओ।
जाना ही है तो अपनी तस्वीर लिए जाओ॥