भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जाना ही है / रणजीत साहा / सुभाष मुखोपाध्याय
Kavita Kosh से
कौन जा रहा है?
-हम लोग!
हम गाँव के लोग
हम शहर के लोग
हाड़-जिंजरवाले लोग
जा रहे जुलूस में।
हाथ में क्या है?
-झण्डा।
कहाँ जा रहे?
-दमनकारी राजा के
दरबार।
रुको
-नहीं
अगर ज़बर्दस्ती रोका गया
-नहीं!
संगीनांे से बींधा गया
-तो भी नहीं!
मत रोको रास्ता
हमें जाना ही है
-जुलूस में।