जाने कब जन्मेगा सूरज / बालस्वरूप राही
हम सब बहुत सुखी है लेकिन सुख की कोई बात नहीं
हम सब बहुत दुखी हैं लेकिन दुख का कारण ज्ञात नहीं।
प्रेमालाप मग्न ये जोड़े चट्टानों की छांहों में
जैसे कोई सत्य खोजता हो झूठी अफवाहों में
कुछ खोखले रिक्त शब्दों का फिर फिर दोहराया जाना
नकली विश्वासों के हाथों बार-बार धोखा खाना।
तन के भोगकक्ष में क़ैदी शापग्रस्त प्यासी रूहें
इन पर कभी किसी बादल का होता दृष्टिपात नहीं।
पथ न मिलेगा उझक-उझक कर चाहे कितना ही झांकें
ज़्यादा तेज़ रोशनी में भी बुझ जाती हैं आंखें
सिर्फ भीड़ के साथ साथ ही बढ़ सकते हैं हम आगे
जैसे कठपुतली की गति निर्धारित करते हैं धागे।
हम हैं दोनों ओर सड़क के जैसे हों तरु-रेखाएं
हमसे घिर कर बहता घटनाओं का यातायात नहीं।
हम गंभीर अर्थ हंगामे में कुछ यों खो जाता है
अंतरिक्ष में जैसे सब कुछ भारहीन हो जाता है।
अपनी ही आवाज़ अजनबी लगती यों कोलाहल में
जैसे प्रतिछवि धुंधला जाती हलचल भरे हुए जल में।
रोते हैं तो भीग न पाता आंखों का रेतीलापन
मुस्काते हैं तो खिल पाते अधरों पर जलजात नहीं।
हममें भी उर्वर प्रकाश है लेकिन सीमित अंशों में
जाने कब जन्मेगा सूरज अंधकार के वंशों में
हम पथ भटके राही जैसे सभी दिये आतंकित हैं।
लेकिन कोई शिखा अभी तक जीवित है सुनसानों में
जिसे बुझा पाने में सक्षम कोई झंझावात नहीं।