भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाने किस-किस को मददगार बना देता है / मंजूर हाशमी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाने किस-किस को मददगार बना देता है
वो तो तिनके को भी पतवार बना देता है

इक इक ईंट गिराता हूँ मैं दिन भर लेकिन
रात में फिर कोई दीवार बना देता है

वो कुछ ऐसा है गुज़रता है उधर से जब भी
शहर को मिस्र का बाज़ार बना देता है

लफ़्ज उन होंटों पे, फूलों की तरह खिलते हैं
बात करता है तो गुलज़ार बना देता है

मस्अला<ref>समस्या</ref> ऐसा नहीं है, मिरा हमदर्द मगर
कुछ उसे और भी दुश्वार बना देता है

जंग हो जाए हवाओं से तो हर एक शजर<ref>वृक्ष</ref>
नर्म शाख़ों को भी तलवार बना देता है

शब्दार्थ
<references/>