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जाने कैसे कब कहाँ इकरार हो गया / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
जाने कैसे कब कहाँ इक़रार हो गया
हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया
हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया
गुलशन बनीं गलियाँ सभी
फूल बन गए कलियाँ सभी
फूल बन गए कलियाँ सभी
लगता है मेरा सेहरा तय्यार हो गया
हम सोचते ...
तुमने हमे बेबस किया
दिल ने हमे धोखा दिया
उफ़ तौबा जीना कितना दुश्वार हो गया
हम सोचते ...
हम चुप रहे कुछ न कहा
कहने को क्या बाक़ी रहा
बस आँखों ही आँखों में इक़रार हो गया