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जाने क्या से क्या कर देंगे / बलबीर सिंह 'रंग'
Kavita Kosh से
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जाने क्या से क्या कर देंगे मेरे गीत तुम्हारे आँसू।
तुम्हें कदाचित ज्ञात नहीं है
गीतों से पाषाण पिघलते,
और आँसुओं की बूँदों में-
जाने कितने सिन्धु मचलते,
नयन-गगन से व्यर्थ न तोड़ो पानीदार सितारे आँसू।
जाने क्या से क्या कर देंगे मेरे गीत तुम्हारे आँसू।
धरती भी तो बांध न पाती
अविरल गति अपने चरणों की,
दिनकर स्वयं नहीं कर पाता
निर्धारित सीमा किरणों की।
तुमने क्यों अपनी नजरों से अपने आप उतारे आँसू?
जाने क्या से क्या कर देंगे मेरे गीत तुम्हारे आँसू।
परवशता के पतझड़ में भी
मेरे गीत नहीं मुरझाते,
घोर निराशा के निर्मम क्षण
मुझे हताश नहीं कर पाते।
पर मेरे गीतों की गति को देते चीर दुधारे आँसू!
जाने क्या से क्या कर देंगे मेरे गीत तुम्हारे आँसू।