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जाने जाना मेरे चले आओ... / मदन मोहन दानिश

जाने जाना मेरे चले आओ...

बुझती सी आस है तुम बिन
सारा मंज़र उदास है तुम बिन
ज़िंदगी बदहवास है तुम बिन

जाने जाना मेरे चले आओ...

एक दुनिया को हारने के लिए
और दूजी सँवारने के लिए
मुझको मुझसे उबारने के लिए

जाने जाना मेरे चले आओ...

इससे पहले कि रुत बदल जाए
इससे पहले कि रात ढल जाए
इससे पहले कि दम निकल जाए

जाने जाना मेरे चले आओ...