भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जानो नहीं जिस गाँव में / गिरिधर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जानो नहीं जिस गाँव में, कहा बूझनो नाम।
तिन सखान की क्या कथा, जिनसो नहिं कुछ काम॥

जिनसो नहिं कुछ काम, करे जो उनकी चरचा।
राग द्वेष पुनि क्रोध बोध में तिनका परचा॥

कह गिरिधर कविराय होइ जिन संग मिलि खानो।
ताकी पूछो जात बरन कुल क्या है जानो॥