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जान-पहचान / परवीन शाकिर
Kavita Kosh से
शोर मचाती मौज-ए-आब
साहिल से टकरा के जब वापस लौटी तो
पाँव के नीचे जमी हुई चमकीली सुनहरी रेत
अचानक सरक गई
कुछ-कुछ गहरे पानी में
खड़ी हुई लड़की ने सोचा
ये लम्हा कितना जाना-पहचाना लगता है