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जान कर जब गिरा करे कोई / अमरेन्द्र
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जान कर जब गिरा करे कोई
ऐसी हालत में क्या करे कोई
तुम भरोसे के लायक हो ही नहीं
तुम पे क्यों आसरा करे कोई
फिर तो मयखाने में न जा बैठा
जा के उसका पता करे कोई
उनको मालूम है कहाँ कुछ भी
उनकी खातिर मिटा करे कोई
जिन्दगी भर की बात करता है
दो घड़ी जब मिला करे कोई
जब नतीजा बुरा निकलता है
काहे मुझसे लगा करे कोई
काम अपना करेगा अमरेन्दर
बात कुछ भी कहा करे कोई ।