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जामुन की कोंपल-सी चिकनी ओ! / ठाकुरप्रसाद सिंह
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जामुन की कोंपल-सी चिकनी ओ!
मुझे छिपा आँचल में
जाड़ा लगता है क्या भीतर आ जाऊँ ?
फूलों की मह मह-सी रानी ओ!
मुझे ढाँक बालों में
बादल घिरते हैं क्या भीतर आ जाऊँ ?
मुझे छिपा
मुझे ढाँक
आँचल से बालों से
जामुन की कोंपल-सी चिकनी ओ!