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जामुन / श्रीनाथ सिंह
Kavita Kosh से
है जामुन क्या काली काली।
लसी हुई है डाली डाली
ठहरो ऊपर जाऊंगा मैं।
डालें पकड़ हिलाऊंगा मैं।
बरस पड़ेंगी पट पट पट पट
अच्छी अच्छी बिनना झटपट
चले चलेंगे नदी किनारे।
धो धो कर खायेंगे प्यारे
अलग छांट कुछ लेनी होंगी
घर चल माँ को देनी होंगी
क्योंकि जीभ जब दिखलायेंगे।
मुन्नी को हम ललचायेंगे।
तो उदास उसका मुंह लखकर
तुरत कहेगी माँ गुस्साकर।
फ़ौरन भागो बाग में जाओ।
बेटी को भी जामुन लाओ।