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जामै हरियाळी / ओम पुरोहित कागद

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थार परवानै
वायरियै
मांड्यो खत
लिखी गत
बांचै सुरजी
सुणै कद
पिव बादळ ।

मुरधर
सदा सुहागण
उडीक पसारै
उण रै आंगण
जामै हरियाळी
बाजै थाळी ।