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जाम लगा / शुभम श्रीवास्तव ओम
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ट्रैक्टर-ट्रक टकराये
लम्बा जाम लगा।
आसमान के ऊपर-नीचे
भारीपन की एक परत है
बहती हुई हवा क्या जाने
कौन सही है कौन गलत है
घिरा भीड़ से दोषी
मौका देख भगा।
धुआँ, सुलगते इंजन, साँसें
ट्रैफिक हवलदार की ऊबन
तारकोल में खूनी थक्के
चिपटी लाशें, मटमैलापन
कौन रुका है
हुआ सड़क का कौन सगा!
तंत्र-साधनाओं के उपक्रम
सुबह-शाम की ये नरबलियाँ
कटी गर्दनें, त्वचा-हड्डियाँ
खून, लोथड़े और अँतड़ियाँ
सबमें एक अजीब
औघड़ी भाव जगा।