भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाय दहिन गे जटिन देश रे विदेश / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जाय दहिन गे जटिन देश रे विदेश
तोरा लय जे लयबौ जटिन गहना सनेस
गहना रे जटा तरबाक धूर
घरे रहु रे जटा नयना हजूर
दरबारे रहु रे जटा नयना हजूर
जाय दहिन गे जटिन देश रे विदेश
तोरा लय जे लयबौ जटिन साड़ी सनेस
साड़ी तऽ रे जटा तरबाक धूर
घरे रहू रे जटा नयना हजूर
जाय दहिन गे जटिन देश रे विदेश
तोरा लय जे लयबौ जटिन कंगही सनेस
कंगही रे जटा तरबाक धूर
घरे रहू रे जटा नयना हजूर
दरबारे रहू रे जटा नयना हजूर
जाय दहिन गे जटिन देश रे विदेश
तोरा लय जे लयबौ जटिन सिनूरा सनेस
सिनुरा रे जटा मांग के सिनूर
तेँ घरे रह रे जटा नयना हजूर
दरबारे रहू रे जटा नयना हजूर