भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जारी है यहाँ प्यार की सौग़ात अभी तक / कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
जारी है यहाँ प्यार की सौग़ात अभी तक ।
बदले ही नहीं कूचे के हालात अभी तक ।।
मयकश भी मियाँ वक़्त की क़ीमत नहीं समझा
करता है वो नासेह<ref>उपदेशक</ref> से मुलाक़ात अभी तक ।
करने की तो हिम्मत है न ताक़त न तलब है
दिल सोचता रहता है ख़ुराफ़ात अभी तक ।
वो सबका भला करके भला ख़ुद भी कहाया
होती है ज़माने में करामात अभी तक ।
क्या जानिए क्या सोच के चुप हो गया वरना
बाक़ी थे मेरे लाख सवालात अभी तक ।
वैसे तो अब इस खेल से जी ऊब चला है
क्या कीजिए बाज़ी न हुई मात अभी तक ।
आँखों ने भरम खोल दिया सोज़ का वरना
होठों पे कहाँ आई थी वो बात अभी तक ।।
शब्दार्थ
<references/>