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जाल-दू / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
अमेरिकी धुन पर
देह डोलबैत अछि
छौंड़ा-छौंड़ी
दखबैत अछि
अपन नंगटपनी।
अफीम-गाँजा-भाँग पीबि कऽ
मातल अछि
लोक
सन्हिआ रहल छैक
ओकर शोणितमे
उपरफाँटू संस्कृति।
स्वदेशीक
मूस सन तिक्ख दाँतसँ
काटल जयतैक भूमण्डलीकरणक जाल
तखने होयत
अपन संस्कृति-रक्षा
आ सभ्यताक विकास।