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जाल तोड़कै नै लिकड़ गया / रणवीर सिंह दहिया

जाल तोड़कै नै लिकड़ गया होग्या तूं आजाद पिया।।
साथ रहनियां संग के साथी करै हरियाणा याद पिया।।

जालिम और गुण्डे जनता नै नोच नोच कै खावैं
रिश्वतखोरी बाधू होरी ये कति नहीं शरमावैं
धनवानां की करैं चाकरी कमेरयां नै धमकावैं
के न्यों काढ़े अंग्रेज हमनै अक देशी लूट मचावैं
बेइमानां की चान्दी होरी सुनते ना फरियाद पिया।।

सारे देश मैं रुक्का पड़ग्या चौगरदें नै होग्या शोर
मेहनत म्हारी खोस लई उल्टा हमनै ए बतावैं चोर
तख्त राज का डोलै सै रौल्ला माच रया चारों और
तनै गा गा के धनवान बणे करते कोण्या मेरी गोर
चूल हिलादी उसकी जो धरी तनै बुनियाद पिया।।

तेरी रागनी टोहवण आज्यां मेरा किसे नै ख्याल नहीं
तेरी दमयन्ती दुखी फिरै किसे कै भी मलाल नहीं
असली बात भूलगे तेरी इसतै बडडा कमाल नहीं
सारा गाम तनै याद करै टूटया मोह का जाल नहीं
हरया भरया था गाम बरोना होता जा बरबाद पिया।।

आम सरोली पेड़ काट दिये काली जाम्मण सूक गई
गाम छोड़गे घणे जणे तो वुफछ नै मार या भूख गई
तेरी बुआ तो अपफसार बणगी बढ़िया बणा रसूक गई
बालकपन मैं अनपढ़ रैहगी रणबीर मौका चूक गई
तेरी रागनी कररी सैं मेरा सूना मन आबाद पिया।।