जाहि दिन अगे बेटी, तोहरो जलम भेल / मगही
जाहि दिन अगे<ref>सम्बोधन का एक शब्द जैसे अरे, हे</ref> बेटी, तोहरो जलम भेल।
नयनमा<ref>नयनों में</ref> न आयल सुखनीन<ref>सुख की नींद</ref> हे॥1॥
नीदो न आबे बेटी भूखो न आबय।
तारा गिनइते भेल बिहान<ref>भोर, प्रभात</ref> हे॥2॥
पुरूब खोजलूँ, पच्छिम खोजलूँ,
खोजलूँ सहर बिहार<ref>मगध का ‘बिहारशरीफ’ नामक नगर</ref> हे।
एक नहीं खोजलूँ दुलरइता बाबू के डेरवा<ref>डेरा, अस्थायी निवास</ref>
जाहाँ हथी<ref>हैं</ref> राजकुमार हे॥3॥
दादा के हाथ में गेडु़आ<ref>भारी, जलपात्र</ref> जे सोभए,
दादी के हाथे कुस डाढ़<ref>कुश की डंटी</ref> हे।
काँपन लागे बाबा कुस के गेडु़अवा,
काँपन लागे कुस डाढ़ हे॥4॥
आल<ref>ताक, ताखा</ref> में ताख पर गुड़िया रोवे,
रोवे लागल टोलवा परोस हे।
जारे जारे<ref>जार-बेजार</ref> रोवथि बाबा दुलरइता बाबा,
बनवे<ref>जंगल की</ref> के कोइल<ref>कोयल</ref> चलल जाय हे॥5॥