भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जा दिन तैं छवि सौं मुसुकात / मतिराम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

जा दिन तैं छवि सौं मुसुकात, कँ निरखे नंदलाल बिलासी।
ता दिन तैं मन-ही-मन मैं, 'मतिराम पियै मुसकानि सुधा सी॥

नेकु निमेष न लागत नैन, चकै चितवै तिय देव-तिया सी।
चंदमुखी न चलै न हिलै, निरबात निवास मैं दीपसिखा सी॥