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जिंदगाणी : दो रूप / सांवर दइया

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कठैई तो
भाख फाटतां ई
सोनलिया किरणा में
गुलाब रै फूलां माथै दमकतो
       टोपा-टोपा ठैरियोड़ो पाणी:
               आ जिंदगाणी !

अर कठैई
अभावां री भट्टी में
नितूकी जरूरतां रै तवै माथै
         टोपा-टोपा पड़तो पाणी:
               आ जिंदगाणी !