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जिंदगी की इस लड़ाई को सदा जारी रखो / रंजना वर्मा

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जिंदगी की इस लड़ाई को यहाँ जारी रखो
हर दफ़ा झुकना नहीं थोड़ी तो खुद्दारी रखो

जो यहाँ आया उसे जाना पड़ेगा एक दिन
जिंदगी को दोस्त समझो मौत से यारी रखो

ऊबने देना न मन को उलझनें हों लाख पर
पास में बच्चों की थोड़ी-सी तो किलकारी रखो

खेल उल्फ़त को न समझो छोड़ना मत साथ तुम
हमसफ़र के साथ तुम हरदम वफ़ादारी रखो

दोस्त हो सच्चा अगर कुर्बान कर दो जान भी
उसकी खातिर दिल में अपने तुम न मक्कारी रखो

जान कर भोला तुम्हे भरमा न ले कोई बशर
साफ़ रक्खो दिल मगर थोड़ी अदाकारी रखो

ग़म खुशी जो भी मिले स्वागत करो हँसते हुए
रेगजारों में हँसी की भी तो फुलवारी रखो